Contect from manishmali1704@gmail.com

Name

Email *

Message *

Wednesday, 21 April 2021

अमीर खुसरो

 •जीवनकाल:-1255-1324 ईस्वी 

•मूलनाम:-अबुल हसन

•उपनाम:- तुर्क ए अल्लाह 

जन्मस्थल:-ग्राम पटियाली जिला एटा (उत्तरप्रदेश)। भोलानाथ तिवारी ने खुसरो का जन्म दिल्ली में होना बताया है।

•गुरु:-सूफ़ी संत निजामुद्दीन औलिया 

•आश्रयदाता:-गयासुद्दीन बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, कुतुबद्दीन एवं मुबारकशाह।

•उपाधियां:-

•हिन्दुस्तान का तोता- स्वयं को अपनी रचना 'नुहसिपहर' में कहा। नवीन शोध के अनुसार खुसरो को सर्वप्रथम 'तूती ए हिन्द' ईरान के फारसी कवि 'हाफिज शीराजी' ने कहा। इस संदर्भ में खुसरो लिखते हैं कि-

 'च मन तूतिए- हिन्दुम, अर रास्त पुर्सी।

 जे मन हिन्दुई पुर्स, ता नाज गोयम।।'

अर्थात् मैं हिन्दुस्तान की तूती हूँ, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिन्दवी में पूछों जिसमें कि मैं कुछ अद्भुत बातें बता सकूं।

•खुसरो सुखन- 12 वर्ष की आयु में ख्वाजा इजुद्दीन द्वारा प्रदत्त उपाधि।

•अमीर- जलालुद्दीन खिलजी 

•राजकवि- अलाउद्दीन खिलजी 

•बुलबुले हजार दास्तान- बुगरा खान

•कवियों का राजकुमार- डाॅ. ईश्वरी प्रसाद 

*Note:- 'अबुल हसन' को ख्वाजा इजुद्दीन द्वारा प्रदत्त उपाधि 'खुसरो सुखन' एवं जलालुद्दीन खिलजी द्वारा प्रदत्त उपाधि 'अमीर' को मिलाकर अमीर खुसरो कहा जाता है।

•रचनाएँ:- खालिकबरी, पहेलियां, मुकरिया, गज़ल, दो सुखने, नुहसिपहर एवं हालात ए कन्हैया आदि।

• 'खालिकबरी' तुर्की, फारसी, अरबी एवं हिन्दी के पर्यायवाची शब्दों का शब्दकोश हैं।

•'नुहसिपहर' एक भाषा कोश हैं जिसमें विभिन्न भारतीय बोलियों का वर्णन है तथा भारतभूमि की प्रशंसा की गई है।

•'हालात ए कन्हैया' खुसरो की कृष्ण काव्य रचना है। 

•गद्य रचनाएँ:- 

•खजाइनुल फतह- अलाउद्दीन खिलजी की वीरगाथा का वर्णन।

•एजाजयेखुसरवी- अलंकार संबंधी ग्रंथ।

•रचनाओं का संकलन:-

•जवाहरे खुसरवी- 1918 ईस्वी, मौलाना रसीद अहमद सलाम, अलीगढ़।

•खुसरो की हिन्दी कविता- 1922 ईस्वी, ब्रजरत्नदास, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी।

•विशेष:-

• अमीर खुसरो खड़ी बोली हिन्दी के प्रथम कवि है।

•अमीर खुसरो ने 'हिंदवी' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया।

•रामकुमार वर्मा ने खुसरो को अवधी बोली का प्रथम कवि माना।

•हिन्दु-मुस्लिम संस्कृति के प्रथम समन्वयकर्ता।

•उर्दू/हिन्दी  गीत परंपरा के प्रथम कवि।

•रामचंद्र शुक्ल:- "जिस ढंग के दोहे, तुकबंदियां और पहेलियाँ आदि साधारण जनता की बोलचाल में इन्हें प्रचलित मिलीं उसी ढंग के पद्य,पहेलियाँ आदि कहने की उत्कंठा इन्हें भी हुई।

•खुसरो ने अपने गुरु निजामुद्दीन औलिया के निधन पर निम्न पंक्तियां कहीं:-

*गोरी सोवै सेज पर,मुख पर डारे केस।

 चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुँ देस।।

•अमीर खुसरो के कुछ महत्वपूर्ण गीत 

       *काहे रे बिहाये परदेस, सुन बाबुल मोरे…

       *खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग…छाप तिलक सब...

12 comments:

  1. बहुतअच्छा

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद सर महत्वपूर्ण जानकारी 🙏🙏

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत धन्यवाद सर। महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए।

    ReplyDelete
  4. Thank you so much sir 🙏

    ReplyDelete
  5. महत्वपूर्ण topics

    ReplyDelete
  6. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

    ReplyDelete