•आचार्य भरतमुनि:- अर्थक्रियापेतम् काव्यम्
•भामह:- शब्दार्थौ सहितौ काव्यम्
•दण्डी:- शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली
•वामन:- काव्य शब्दोडयं गुणालंकार संस्कृतयोः शब्दार्थोर्वर्तते
•रुद्रट:- ननु शब्दार्थौ काव्यं
•वाग्भट्ट:- शब्दार्थौ निर्दोषो सगुणौ प्रायः सालंकारौ काव्यम्
•हेमचंद्र:- अदोषौ सगुणौ सालंकारौ च शब्दार्थौ काव्यं
•कुंतक:- शब्दार्थौ सहितौ वक्रकविव्यापारशालिनी कवः कर्म काव्यं
•आनंदवर्धन:- शब्दार्थ शरीरं तावत् काव्यं। सह्रदयह्रदयाह्लादि शब्दार्थमयत्वमेव काव्य लक्षणम्
•मम्मट:- तददोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलंकृति पुनः क्वापि। लौकोतर वर्णन निपुण कवि कर्म काव्यं
•जयदेव:- निर्दोषो लक्षणवती सरीतिर्गुण भूषिता। सालंकाररसानेक वृत्तिर्वाक् काव्यनाम् भाक्।।
•विद्यानाथ:- गुणालंकार सहितौ शब्दार्थौ दोष वर्जितो। गद्य पद्योभरमय काव्यं काव्यविदो विदुः।।
•विद्याधर:- शब्दार्थौ वपुरस्य तत्र विबुधैरात्माभ्यधायि ध्वनि। काव्यतीति इति कविः तस्य कर्मः काव्यं
•भोज:- निर्दोष गुणवत्काव्यमलंकारैरलंकृतम्
•जगन्नाथ:- रमणीयार्थप्रतिपादकः शब्दः काव्यम्
•विश्वनाथ:- वाक्यम् रसात्मकम् काव्यम्
•शौद्धोदनि:- काव्यं रसादिमद् वाक्यंश्रुतम् सुखविशेषकृत्।
•राजशेखर:- गुणवदलंकृतं च वाक्यमेव काव्यम्। शब्दार्थयोर्यथावत् सालंकारो च शब्दार्थौं काव्यम्।
•केशवदास:- जदपि सुजाति सुलच्छनी सुबरन सरस सुवृत्त। भूषण बिनु न बिरेजई कविता बनिता मित्त।।
•केशवदास:- राजत रंच न दोष युत कविता बनिता मित्त। बुन्दक हाला परत ज्यों गंगाघट अपवित्त।
•चिंतामणि:- सगुण अलंकारन सहित दोष रहित जो होइ। शब्द अर्थ वारौ कवित्त विबुध कहत सबकोइ।। ( मम्मट से प्रभावित)
•चिंतामणि:- बत कहाउ रस मैं जु है कवित्त कहावै सोई। ( विश्वनाथ से प्रभावित)
•कुलपति मिश्र:- जगते अद्भुत सुख सदन सब्दरु अर्थ कवित्त। यह लच्छन मैंने कियो समुझि ग्रंथ बहुचित।।
•कुलपति मिश्र:- दोष रहित अरु गुन सहित कछुक अल्प अलंकार। सबद अरथ सो कवित्त है ताकौ करो विचार।।
•देव:- शब्द सुमति मूख ते कहै ले पद पचननि अर्थ। छन्द भाव भूषण सरस सो कहि काव्य समर्थ। काव्य सार शब्दार्थ को रस तेहि काव्य सुसार।।
•सुरति मिश्र:-बरनन मनरंजन जहां रीति अलौकिक होइ। निपुण कर्म कवि कौ जु तिहिं काव्य कहत सब कोइ।।
•सोमनाथ:- सगुण पदारथ दोष बिनु पिंगल मत अवरुद्ध। भूषण जुत कवि कर्म जो सो कवित्त कहिं सुद्ध।।
•श्रीपति मिश्र:- शब्द अर्थ बिनु दोष गुन अलंकार रसवान। ताको काव्य बखानिए श्रीपति परम सुजान।।
•भिखारीदास:- जाने पदारथ भूषण मूल लसांग परांगह्न मैं मति झाकी। सो धुनि अर्थवत् वाक्यह्न ले गुन शब्द अलंकृत सो रति पाकी।
•प्रतापसाहि:- व्यंग्य जीव कहि कवित को ह्रदय सो धुन पहिचानि। शब्द अर्थ कहि देह पुनि भूषन भूषन जानि।।
•बालकृष्ण भट्ट:- साहित्य जनसमूह के ह्रदय का विकास है।
•महावीरप्रसाद द्विवेदी:- ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम कविता है।
•महावीरप्रसाद द्विवेदी:-अंतः करण की वृत्तियों के चित्र का नाम कविता है।
•महावीरप्रसाद द्विवेदी:- कविता प्रभावशाली रचना है जो पाठक या श्रोता के मन पर आनंदमय प्रभाव डालती है।
•महावीरप्रसाद द्विवेदी:- मनोभाव शब्दों का रूप धारण करते है, वही कविता है। चाहे वह पद्यात्मक हो, चाहे गद्यात्मक।
•रामचंद्र शुक्ल:- जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञान दशा कहलाती है उसी प्रकार ह्रदय की मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है। ह्रदय की मुक्तावस्था के लिए मनुष्य वाणी जो शब्द विधान करती आयीं है उसे कविता कहते है।
•रामचंद्र शुक्ल:- सत्त्वोद्रेक या ह्रदय की मुक्तावस्था के लिये किया हुआ शब्द विधान काव्य है।
•रामचंद्र शुक्ल:- जो उक्ति ह्रदय में कोई भाव जाग्रत कर दे या उसे प्रस्तुत कराने वाला या तथ्य की मार्मिक भावना में लीन कर दे वह काव्य है।
•प्रेमचंद:- साहित्य जीवन की आलोचना है। ( मैथ्यू आर्नल्ड से प्रभावित)
•प्रेमचंद:- जिस साहित्य में हमारी रूचि न जगे, आध्यात्मिकता और मानसिक तृप्ति न मिलें, हममें गति और शांति पैदा न हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जाग्रत हो, न सच्ची दृढ़ता उत्पन्न करें, वह आज हमारे लिये बेकार है। वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं।
•महात्मा गांधी:- साहित्य वह है जिसे चरस खींचता हुआ किसान भी समझ सके और ख़ूब पढ़ा लिखा भी।
•श्यामसुंदर दास:- किसी पुस्तक को हम काव्य या साहित्य की उपाधि तभी दा सकते है, जब जो कुछ उसमें लिखा है वह कला उद्देश्यों की पूर्ति करता है, यही एकमात्र उचित कसौटी है।
•नगेन्द्र:- वाणी के माध्यम से सौंदर्य की अभिव्यक्ति का नाम कविता है।
•नगेन्द्र:- सरस शब्दार्थ का नाम कविता है।
•नगेन्द्र:- साहित्य मानव समाज की भावात्मक स्थिति और गतिशील चेतना की अभिव्यक्ति है।
•नगेन्द्र:- रमणीय अनुभूति, उक्तिवैचित्र्य और छंद…इन तीनों का समंजित रुप ही कविता है
•नगेन्द्र:- काव्य आत्माभिव्यक्ति है।
•नगेन्द्र:- रसात्मक शब्दार्थ काव्य है और उसकी छंदोमयी विशिष्ट विधा आधुनिक अर्थ में कविता है।
•जयशंकर प्रसाद:- कविता आत्मा की संकल्पात्मक अनुभूति है, जिसका संबंध विश्लेषण, विकल्प या विज्ञान से नहीं है। वह एक श्रेयमयी प्रेम रचनात्मक ज्ञानधारा है। काव्य या साहित्य आत्मा की अनुभूतियों का नित्य नया रहस्य खोलने में प्रयत्नशील है।
•महादेवी वर्मा:- कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है और वह चित्रण इतना ठीक है कि उससे वैसी ही भावनाएं किसी दूसरे के ह्रदय में आविर्भूत हो जाती है।
•सुमित्रानंदन पंत:- कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की अभिव्यक्ति है।
•हजारीप्रसाद द्विवेदी:- भावावेश, कल्पना और पद लालित्य को कविता कहा जाता है।
•गुलाबराय:- काव्य संसार के प्रति कवि की भावप्रधान किंतु वैयक्तिक संबंधों से मुक्त मानसिक प्रतिक्रियाओं, कल्पना के सांचे में ढली हुई, श्रेय की प्रेयरुना प्रभावोत्पादक अभिव्यक्ति है।
•नंददुलारे वाजपेयी:- काव्य तो प्राकृत अनुभूतियों का नैसर्गिक कल्पना के सहारे ऐसा सौंदर्यमय चित्रण है जो मानवमात्र के स्वभावतः अनुरूप भावोच्छवास और सौंदर्य संवेदन उत्पन्न करता है। इसी सौंदर्य संवेदन को पारिभाषिक शब्दावली में रस कहते है।
•रामविलास शर्मा:- काव्य एक महान सामाजिक क्रिया है, जो सामाजिक विकास के समानांतर विकसित होती है।
•भगीरथ मिश्र:- शब्द, अर्थ और दोनों की रमणीयता से युक्त वाक्य रचना को काव्य कहते है।
•रामस्वरूप चतुर्वेदी:- कविता उत्कृष्ट शब्दों का उत्कृष्ट क्रम है। ( कॉलरिज से प्रभावित)
•अज्ञेय:- काव्य सबसे पहले शब्द है और सबसे अंत में भी यही बात बच जाती है कि काव्य शब्द है।
•मुक्तिबोध:- काव्य एक सांस्कृतिक प्रक्रिया है।
•जगदीश गुप्त:- कविता सहज आंतरिक अनुशासन से युक्त अनुभूति जन्य सघन लयात्मक शब्दार्थ है जिसमें सह अनुभूति उत्पन्न करने की यथेष्ट क्षमता निहित रहती है।
•गिरिजाकुमार माथुर:- कविता जटिल संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है।
•लक्ष्मीकांत वर्मा:- कविता आत्मपरक अनुभूति की रागात्मक अभिव्यंजना है और नयी कविता लघुमानव के लघु परिवेश की सच्ची अभिव्यक्ति है।
•कुंवर नारायण:- कविता मेरे लिए कोरी भावुकता की हाय-हाय न होकर यथार्थ के प्रति एक प्रौढ़ प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति है।
•केदारनाथ सिंह:- कविता अपने अनावृत्त रुप में केवल एक विचार, एक भावना, एक अनुभूति, एक दृश्य और इन सबका कलात्मक संगठन है।
•धूमिल:- कविता भाषा में आदमी होने की तमिज है।
•अरस्तु:- काव्य भाषा के माध्यम से प्रकृति का अनुकरण है।
•लोजाइनस:- उदात्त काव्य के माध्यम से प्रकृति का अनुकरण है। उदात्त महान आत्मा की प्रतिध्वनि है।
•ड्राइडन:-काव्य रागात्मक और छंदोबद्ध भाषा के माध्यम से प्रकृति का अनुकरण है।
•ड्राइडन:- व्यक्त संगीत काव्य है।
•वर्डसवर्थ:- कविता बलवती भावनाओं का सहज उच्छलन होती है। शांत अवस्था में भाव के स्मरण से उसका उद्भव होता है।
•कॉलरिज:- सर्वोत्तम शब्दों का सर्वोत्तम क्रम कविता है।
•कॉलरिज:- कविता रचना का वह प्रकार है जो वैज्ञानिक कृतियों से इस अर्थ में भिन्न है कि उसका तात्कालिक प्रयोजन आनंद है, सत्य नहीं। और रचना के सभी प्रकार से उसका अंतर यह है कि संपूर्ण से वही आनंद प्राप्त होना चाहिए जो उसके प्रत्येक घटक खंड ( अवयव) से प्राप्त होने वाली स्पष्ट संतुष्टि के अनुरूप हो।
•मैथ्यू आर्नल्ड:- काव्य सत्य और काव्य सौंदर्य के सिद्धांतोंद्वारा निर्धारित उपबंधों के अधीन जीवन की आलोचना का नाम काव्य है।
•आई. ए. रिचर्ड्स:- काव्य अनुभूतियोंका एक ऐसा वर्ग है जो मानक अनुभूति से प्रत्येक विशेषता में भिन्न होते हुए भी किसी विशेषता में एक खास मात्रा में भिन्न नहीं होती।
•टी. एस. इलियट:- कविता या कला कवि के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं है क्योंकि उसे व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति करनी ही नहीं है। वह तो अभिव्यक्ति का एक माध्यम मात्र हो जो केवल माध्यम है, व्यक्तित्व नहीं।…काव्य भाव का स्वच्छ प्रवाह नहीं, भाव से मुक्ति या पलायन है। वह व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, व्यक्तित्व से मुक्ति है।
•जॉनसन:- कविता शब्दों, विचारों को व्यक्त करने की कला है, जो कल्पना और अहसास की रचना है।
•जॉनसन:- कविता छन्दोमयी रचना है।
•जॉनसन:- कविता वह कला है जो कल्पना की सहायता से विवेक द्वारा सत्य और आनंद का संयोजन करती है।
•कार्यायल:- संगीतपूर्ण विचार को काव्य कहते है।
•शेली:- विषादमय क्षणों की अभिव्यक्ति कविता है।
•पी.बी.शैली:- कविता को कल्पना की अभिव्यक्ति कहा जा सकता है।
•पी.बी.शैली:- कविता सर्वाधिक सुखद और सर्वोत्तम मन के सर्वोत्तम और सर्वाधिक सुखपूर्ण क्षणों का लेखा है।
•एडगर एलन पो:- कविता लय के माध्यम से सौंदर्य की सृष्टि है।
•ली हण्ट:- कलात्मक मनोवेग चा नाम कविता है।
•हडसन:- कविता कल्पना की अभिव्यक्ति है।…कविता जीवन की व्याख्या है जो कल्पना और भावना द्वारा निर्मित होती है।
•विल्सन:- भावनाओं से रंजित बुद्धि काव्य है।
•कोर्ट होप:- शब्दोबद्ध भाषा में भाव, कल्पना की आनंदमय अभिव्यक्ति ही काव्य है।
•मिल:- बुद्धि और भाव का संयोग काव्य है।
•हैजलिट:- कल्पना और मानव मनोवेगों की भाषा काव्य है।
Thanku so much sir 🙏🙏👍😊
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार सर जी🙏🙏🙏
DeleteThank you so much sir 🙏
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
ReplyDeleteज्ञानवर्धक लेख!!
ReplyDeleteblog is nat guide
ReplyDeleteThnku sir
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ReplyDeleteराजस्थाण री धरा को प्रथमत:बंदन कोटि। राष्ट्रभाषा के लिए आपका कार्य सराहनीय है। ईश्वर आपको स्वस्थ व दिर्घायु प्रदान करें। आपकी लेखनी व भाषा प्रति क्रमबद्धता और नैतिकता को मुझ आत्मन का कोटिक्षा नमन...गुजरात पधारिएगा कभी गुरूजी।
ReplyDeleteबहुत अच्छा धन्यवाद सर जी
ReplyDeleteशुक्रिया भाई 🙏😊..अत्यंत लाभकारी नोट्स🙏
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